हिंदू धर्म में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी को मनाई जाती है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर में था। इसी दिन से भक्त अपने घर पर भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना करते हैं और विधिपूर्वक पूजा अर्चना करते हैं जिसे गणपति भक्त बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
इस बार रांची में भी गणपति पूजा बड़ी ही धूमधाम और शानदार तरीके से मनाया गया।
और इसी पावन दिन गणेश पूजा समिति अल्बर्ट एक्का चौक मेन रोड पर गणेश चतुर्थी के अवसर पर भाव्य पूजा पंडाल का उद्घाटन करने पहुंचे शंकर दुबे जी। जिन्हें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में पंडाल उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया था।
शंकर दुबे जी एक ऐसा नाम जो की हर एक जरूरतमंद के मन में बसा है।और यह इसलिए भी कह रही हूं क्योंकि उन्होंने बतौर समाजसेवी के रूप में कई वर्ष अपने समाज की सेवा ,समाज के लोगों के हित के लिए, ना केवल मदद की बल्कि उनकी आवाज बनकर भी सामने आए हैं।
शंकर दुबे जी का मन शुरुआत से ही लोगों की मदद करने में लगा रहता था उनके जीवन का उद्देश्य ही था कि वह हर एक जरूरतमंद व्यक्ति जिसे किसी भी रूप में सहायता की आवश्यकता होगी वो उस जगह पर उस जरूरतमंद व्यक्ति की सहायता करेंगे।
वर्ष 2000 से ही शंकर दुबे जी समाजसेवी के रूप में काम करते आ रहे थे और 24 जनवरी,2024 से सक्रिय रूप से राजनीति में अपना कदम रखा है।भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली।यह विचारधारा के साथ कि समाज के हर वर्ग के सहायता करेंगे ताकि समाज का बराबर विकास हो सके।
शंकर दुबे जी ने लगभग 20 साल से समाजसेवी के रूप में अपना योगदान दिया जरूरतमंद लोगों की सहायता की और लोगों के बीच खुद की अपनी एक पहचान बनाई। और हम यह भी कह सकते हैं कि समाजसेवी से उन्होंने जो भाजपा कार्यकर्ता तक का सफर तय किया है उनकी खुद की काबिलियत और जो भावना थी लोगों के लोगों की हित में काम करना और उनकी आवाज बनकर सामने आना।
बात करें शंकर दुबे जी के जीवन के उद्देश्य की उनके जीवन का एक ही उद्देश्य है कि अपने क्षेत्र के लोगों के जीवन को सुधारना और समृद्ध बनाना, और सदैव हर वर्ग के लोगों के हित में काम करना। साथ ही साथ न्याय की भावना को बढ़ावा देना सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक उत्थान के लिए प्रतिबंध भी रेहना समाज का विकास ,समृद्धि और सामाजिक समरसत्ता को प्रोत्साहित ,करना है ताकि समाज को सशक्त और समर्थ बनाने का जो उनको उद्देश्य है वो पूरा हो सके।