प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है और व्रत करने का विधान है। इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 26 अगस्त को बड़ी ही धूमधाम के साथ बनाया गया।धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद माह के अष्टमी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ था।
इस दिन कृष्ण भक्त पूरे दिन उपवास करते हैं और मध्यरात्रि के समय बाल गोपाल का जन्म होने के बाद विधिवत रूप से पूजा अर्चना करते हैं।
इस बार रांची में बड़ी ही धूमधाम और हर्षोउल्लास के साथ बाल गोपाल श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया गया।
भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव के अवसर पर नवयुवक संघ श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा समिति महादेव मंडा लोहार चुटिया के तत्वाधान में आयोजित बाल गोपाल प्रतियोगिता, मटकी फोड़ प्रतियोगिता, संध्या भजन के भव्य कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए शंकर दुबे जी।
शंकर दुबे जी एक समाजसेवी जिनकी निस्वार्थ की भावना के वजह से लोगों के मन में बसा है उनका नाम।
शंकर दुबे जी का मन शुरुआत से ही लोगों की मदद करने में लगा रहता था उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य ही मान लिया था कि वह हर जरूरतमंद व्यक्ति जिस किसी भी रूप में सहायता की आवश्यकता होगी तो उसे जगह पर उसे जरूरतमंद व्यक्ति की वह सहायता अवश्य करेंगे।
और समाजसेवी के रूप में उन्होंने कम करना शन 2000 ई से ही कर दिया था और उसी वर्ष शन 2000 ई में ही भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता की थी। और 24 जनवरी 2024 से सक्रिय रूप से राजनीतिक में अपना कदम रखा था।
•वर्ष 2004 में उन्होंने कई गरीब बच्चों को पढ़ने लिखने और खेलने में मदद की ,इसके साथ ही उन्होंने गरीबों के कन्याओं का विवाह भी करवाया, आज भी हर वर्ष विवाह मुहूर्त में गरीबों की मदद करते हैं और होने हाथ छात्र-छात्राओं का खूब सहयोग भी करते हैं।
•वर्ष 2005 में उन्होंने अनाथ बच्चों मदद करना ठाना, उनकी पढ़ाई लिखाई से लेकर अन्य जरूरत का भी खास ख्याल रखा आज के समय में उनकी मदद से कई बच्चों ने जो सपने देखे थे उसे सच में बदला।
•यही नहीं इसके अलावा बुजुर्गों के लिए भी वह पूर्ण रूप से कार्यरत थे,उनके रहने के प्रबंध से लेकर उनकी बीमारी के इलाज में भी पूरी सहायता करते रहे हैं।
शंकर दुबे जी ने लगभग 20 साल से समाजसेवी के रूप में अपना योगदान दिया जरूरतमंद लोगों की सहायता की और लोगों के बीच खुद की अपनी एक पहचान बनाई। और हम यह भी कह सकते हैं कि समाजसेवी से उन्होंने जो भाजपा कार्यकर्ता तक का सफर तय किया है उनकी खुद की काबिलियत और जो भावना थी लोगों के हित में काम करना और उनकी आवाज बनकर सामने आना।
बात करें शंकर दुबे जी के जीवन के उद्देश्य की उनके जीवन का एक ही उद्देश्य है कि अपने क्षेत्र के लोगों के जीवन को सुधारना और समृद्ध बनाना, और सदैव हर वर्ग के लोगों के हित में काम करना। साथ ही साथ न्याय की भावना को बढ़ावा देना सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक उत्थान के लिए प्रतिबंध भी रेहना समाज का विकास ,समृद्धि और सामाजिक समरसत्ता को प्रोत्साहित ,करना है ताकि समाज को सशक्त और समर्थ बनाने का जो उनको उद्देश्य है वो पूरा हो सके।